भारतीय जनमानस के दिल के कोने में गहरे तक बैठा कृष्ण नामक ये पात्र आखिर है कौन ?कौन है ये जो कभी भोग की उस पराकाष्ठा पर जा बैठता है जहाँ एक साथ अठारह हजार गोपियों के साथ चांदनी रात में रासलीला रचता है तो दूसरी तरफ कुरुक्षेत्र की युद्ध्ह्भूमि में अर्जुन के सामने गीता का उपदेश देकर खुद को योगियों का रजा यानी योगिराज कृष्ण सिद्धह करता है |कभी राधा के प्यार में पागल होकर समाज की सारी मर्यादाएं टाक पर रख देता है तो कभी द्रौपदी जैसी संसार की सबसे सुन्दर औरत के विवाह प्रस्ताव को सरलता से ठुकरा कर उसे सदा के लिए अपनी सखी बना लेते है .
पिछले लेख में मैंने बात की थी चौथे आयाम की .आखिर कृष्ण इतने बड़े योगिराज थे तभी तो उन्होंने चौथे आयाम को न सिर्फ खुद देखा बल्कि अर्जुन को भी शक्ति प्रदान की .
ये सारी बातें एक चीज की तरफ तो इशारा करती ही हैं कि ज़िन्दगी में जिसे हम भविष्य कहते हैं दरअसल वो सब कुछ घट चूका होता है .शायद इसीलिए कभी -कभी जब हम चौथे आयाम में जाते हैं तो आनेवाली घटनाओं का आभास पा लेते हैं .
11 मार्च 2010
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