13 मार्च 2010

kuchh nai baaten

आज एक लेख पढ़ा ,एक हिंदी की पत्रिका में ,शीर्षक था --संवेदनाएं ही बनाती हैं इंसान को कुदरती सुपरमानव | उसने बताया कि इंसान कि बुद्धि  की नहीं ह्रदय की ताकत ही उसे भौतिक जीवन में भी बड़ा इंसान बनाती है |एक नई बात ही कह रहा था ये लेख |
                        अब तक आमतौर पर समाज में तो यही मान्यता है की संवेदनाएं मनुष्य को कमजोर बनाती हैं लेकिन यहाँ तो बात कुछ दूसरी ही कही जा रही है |धन्यवाद् का पत्र है वो लेखक जिसने मनुष्य जाती की आँखों पर पड़े हुए परदे को उतरने की कोशिश की है |और सच भी यही है |अक्सर हमने देखा है कि बचपन में जो बच्चे और बच्चों कि तुलना में अपनी चीजें दुसरे बच्चों को कम देते हैं वो आगे चलकर आसमान की ऊँचाइयों को नहीं छू पाते |
                                                                                              अमेरिका में एक रिसर्च में दस बच्चों का समूह बनाया गया |और उन्हें एक फल दिया गया |उन्हें कहा गया की दो घंटे तक वे इंतज़ार करें और जब घंटे भर बाद उन्हें  कहा जाए तब वे उसे खाएं |दो घंटे बाद जब देखा गया तो हुआ ये की पांच बच्चों ने फल खा लिया था और पांच बच्चों ने इंतजार करना बेहतर समझा |
           बीस साल के बाद देखा गया की जिन बच्चों ने फल नहीं खाया था वे जिंदगी में काफी सफल हुए थे |
   तो दोस्तों क्यों हम भी अपने बच्चों को संवेदनाओं के माध्यम से जीने की शिक्षा दें ?.                                               

11 मार्च 2010

krishna kaun hai?

भारतीय जनमानस के दिल के कोने में गहरे तक बैठा कृष्ण नामक ये पात्र  आखिर है कौन ?कौन है ये जो कभी भोग की उस पराकाष्ठा पर जा बैठता है जहाँ एक साथ अठारह हजार गोपियों के साथ चांदनी रात में रासलीला रचता है तो दूसरी तरफ कुरुक्षेत्र की युद्ध्ह्भूमि में  अर्जुन के सामने गीता का उपदेश देकर खुद को योगियों का रजा यानी योगिराज कृष्ण सिद्धह करता है |कभी राधा के प्यार में पागल होकर समाज की सारी मर्यादाएं टाक पर रख देता है तो कभी द्रौपदी जैसी संसार की सबसे सुन्दर औरत के विवाह प्रस्ताव को सरलता से ठुकरा कर उसे सदा के लिए अपनी सखी बना लेते है . 
                                                               पिछले लेख में मैंने बात की थी चौथे आयाम की .आखिर कृष्ण इतने बड़े योगिराज थे तभी तो उन्होंने चौथे आयाम को न सिर्फ खुद देखा बल्कि अर्जुन को भी शक्ति प्रदान की .
                                                                                                                                     ये सारी बातें एक चीज की तरफ तो इशारा करती ही हैं कि ज़िन्दगी में जिसे हम भविष्य कहते हैं दरअसल वो सब कुछ घट चूका होता है .शायद इसीलिए कभी -कभी जब हम चौथे आयाम में जाते हैं तो आनेवाली घटनाओं का आभास पा लेते हैं .

09 मार्च 2010

future is 4th dimension of life

क्या आप जानते हैं की आनेवाली जिंदगी की भविष्यवाणी कैसे कभी- कभी कर दी जाती है ?आपने विज्ञानं के तीन आयामों के बारे में पढ़ा होगा और ये भी आप समझते हैं कि ज़िन्दगी में हम सब तीन आयामों के बारे में ही जानते हैं 
                                                                                                                                आज से कई साल पहले अमेरिका में एक किताब प्रकाशित हुई थी .जिसका नाम था-"एक योगी की आत्मकथा" .उस योगी ने एक ऐसी बात कही की पूरा अमेरिका उस समय स्तब्ध रह गया .उसने बताया की ज़िन्दगी में  सिर्फ तीन आयाम ही नहीं होते बल्कि एक चौथा आयाम भी होता है जो उन दृश्यों को दिखाता है जो हमें अपनी आँखों से दिखाई नहीं देता .जिसे हम भविष्य कहते हैं वास्तव में वो भविष्य नहीं होता बल्कि वे घटनाएँ भी घट चुकी होती हैं .बस फर्क ये होता है की वे ज़िन्दगी का चौथा आयाम होती हैं जिसे हम देख नहीं पाते . जैसे आपको शायद याद हो की कुछ साल पहले तीन आयामी फिल्मो का प्रयोग हुआ था.एक दो फिल्मे भी आई थीं .जिसमे एक विशेष प्रकार का चश्मा दिया जाता था ,दर्शकों को .क्योंकि तीन आयामी दृश्य आप सिर्फ अपनी आँखों से नहीं देख सकते .
                    अब अगर चौथा आयाम आप नहीं देख सकते तो इसका अर्थ ये तो कदापि नहीं की उसका अस्तित्व  ही नहीं.
        इसे समझाने के लिए हमें गीता की और लौटना पड़ेगा .गीता में भगवान कृष्ण ने अर्जुन के मोहग्रस्त हो जाने पर  जब उससे कहा की जिनके शारीर का प्रति तुम मोह से ग्रस्त हो की इन्हें मारने का पाप तुमको लगेगा तो तुम गलत सोच रहे हो क्योंकि ये सब लोग पहले से ही मारे जा चुके हैं  .पर बार बार समझाने पर भी अर्जुन इस बात को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं . तब कृष्ण ने क्या किया . 
                              तब कृष्ण ने अर्जुन के  सामने एक ऐसा दृश्य उपस्थित किया जो पूरी दुनिया के सामने एक अनोखी  घटना के रूप में दर्ज हुआ .वो घटना थी अर्जुन को चौथे आयाम को देखने की शक्ति प्रदान करना .अर्जुन ने जो घटनाएँ अभी घटनेवाली थीं उन्हें अपनी आँखों के सामने देखा .उन्होंने देखा की अभिमन्यु मारा जा चूका है ,उन्होंने देखा की पितामह बाण शैया पर लेटे हुए हैं ,उन्होंने देखा की द्रोणाचार्य की गर्दन कट गई है .अब सवाल ये उठता है की ये सब घटनाएँ किस और इशारा करती हैं .?क्या ये सब कुछ चौथे आयाम की उपस्थिति का संकेत नहीं करता ?शायद हाँ |आश्चर्य होता है कृष्ण के व्यक्तित्व पर .इसीलिए कृष्ण को शायद योगिराज कहा गया .अर्थात योगियों का राजा| 
                                                                                   आप घबराएँ नहीं |बहुत लज्द विज्ञानं की कोशिशों से हम सब चौथे आयाम को देखने की क्षमता का विकास कर लेंगे . .

07 मार्च 2010

kya kaha desh ko bech diya gaya?

अजीब खबर है भाई ,देश को कुछ लोगों ने बेच दिया .क्या ये भी कोई खबर है ?खबर उसे कहते हैं जब कुछ अप्रत्याशित घट जाये .देश बिक गया ,देश को बेच दिया ,देश बिक जाएगा. इन तमाम खबरों से ,सच तो ये है की सिर्फ बोरियत होती है .
                                                                                   भला हो दृश्य माध्यमों को जिन्होंने इस बोरियत को अच्छी तरह समझा ,तभी तो उन्होंने देश के बारे में सोचना और टीवी पर दिखाना ही बंद कर दिया.कभी आपने ध्यान दिया है की देश दिखता ही नहीं टीवी में.या तो दिखता है क्रिकेट ,या दिखता है सिनेमा और उसके कलाकार .
                                                         तो जब किसी ने कहा की देश को बेच दिया चाँद नेताओं ने और उद्योगपतियों ने तो मुझे बड़ी जोर से हंसी आई .कभी कभी सोचता हूँ की एक जांच शुरू करूँ की पहली बार देश की बेचने की परंपरा किसने डाली ..और सारी परम्पराएँ चाहे हम भूल जाएँ लेकिन देश को बेचने परंपरा हमने पूरे मनोयोग से निभाई है .तो आईये हम क्यों न देश बेचने की दुकान खोल खोल लें ..आखिर हम बेरोजगारों के लिए इससे अच्छा रोजगार क्या हो सकता है ?