09 मार्च 2010

future is 4th dimension of life

क्या आप जानते हैं की आनेवाली जिंदगी की भविष्यवाणी कैसे कभी- कभी कर दी जाती है ?आपने विज्ञानं के तीन आयामों के बारे में पढ़ा होगा और ये भी आप समझते हैं कि ज़िन्दगी में हम सब तीन आयामों के बारे में ही जानते हैं 
                                                                                                                                आज से कई साल पहले अमेरिका में एक किताब प्रकाशित हुई थी .जिसका नाम था-"एक योगी की आत्मकथा" .उस योगी ने एक ऐसी बात कही की पूरा अमेरिका उस समय स्तब्ध रह गया .उसने बताया की ज़िन्दगी में  सिर्फ तीन आयाम ही नहीं होते बल्कि एक चौथा आयाम भी होता है जो उन दृश्यों को दिखाता है जो हमें अपनी आँखों से दिखाई नहीं देता .जिसे हम भविष्य कहते हैं वास्तव में वो भविष्य नहीं होता बल्कि वे घटनाएँ भी घट चुकी होती हैं .बस फर्क ये होता है की वे ज़िन्दगी का चौथा आयाम होती हैं जिसे हम देख नहीं पाते . जैसे आपको शायद याद हो की कुछ साल पहले तीन आयामी फिल्मो का प्रयोग हुआ था.एक दो फिल्मे भी आई थीं .जिसमे एक विशेष प्रकार का चश्मा दिया जाता था ,दर्शकों को .क्योंकि तीन आयामी दृश्य आप सिर्फ अपनी आँखों से नहीं देख सकते .
                    अब अगर चौथा आयाम आप नहीं देख सकते तो इसका अर्थ ये तो कदापि नहीं की उसका अस्तित्व  ही नहीं.
        इसे समझाने के लिए हमें गीता की और लौटना पड़ेगा .गीता में भगवान कृष्ण ने अर्जुन के मोहग्रस्त हो जाने पर  जब उससे कहा की जिनके शारीर का प्रति तुम मोह से ग्रस्त हो की इन्हें मारने का पाप तुमको लगेगा तो तुम गलत सोच रहे हो क्योंकि ये सब लोग पहले से ही मारे जा चुके हैं  .पर बार बार समझाने पर भी अर्जुन इस बात को स्वीकार नहीं कर पा रहे हैं . तब कृष्ण ने क्या किया . 
                              तब कृष्ण ने अर्जुन के  सामने एक ऐसा दृश्य उपस्थित किया जो पूरी दुनिया के सामने एक अनोखी  घटना के रूप में दर्ज हुआ .वो घटना थी अर्जुन को चौथे आयाम को देखने की शक्ति प्रदान करना .अर्जुन ने जो घटनाएँ अभी घटनेवाली थीं उन्हें अपनी आँखों के सामने देखा .उन्होंने देखा की अभिमन्यु मारा जा चूका है ,उन्होंने देखा की पितामह बाण शैया पर लेटे हुए हैं ,उन्होंने देखा की द्रोणाचार्य की गर्दन कट गई है .अब सवाल ये उठता है की ये सब घटनाएँ किस और इशारा करती हैं .?क्या ये सब कुछ चौथे आयाम की उपस्थिति का संकेत नहीं करता ?शायद हाँ |आश्चर्य होता है कृष्ण के व्यक्तित्व पर .इसीलिए कृष्ण को शायद योगिराज कहा गया .अर्थात योगियों का राजा| 
                                                                                   आप घबराएँ नहीं |बहुत लज्द विज्ञानं की कोशिशों से हम सब चौथे आयाम को देखने की क्षमता का विकास कर लेंगे . .

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