28 फ़रवरी 2009
अरे भाई सोचेंगे अंग्रेजी में और बनायेंगे हिन्दी में ?
क्या आपने कभी सोचा है की इतने बड़े बम्बैया फ़िल्म इंडस्ट्री में हजारों फिल्म बनती हैं लेकिन आजतक किसी को ऑस्कर क्यों नहीं मिला ?आज से एक वर्ष पहले निर्देशक अनुराग कश्यप से मेरी मुलाकात हुई थी .उन्होंने मुझसे कहा की हिन्दी सिनेमा के निर्देशक कहानी की कमी से जूझ रहे हैं मैं कुछ कहानियाँ लेकर गया था उनसे मिलाने कुछ देर के बाद उन्होंने कहा की बॉलीवुड के निर्देशक कहानियाँ और पटकथा अंग्रेजी में लिखते हैं भले फिल्में हिन्दी में बनायें उनकी बातें मेरे लिए अच्छा खासा झटका थीं .अब आप ही सोचिये क्या अब बाकी है इस पहेली को समझाना की क्यों एक ऑस्कर के लिए तरस गया हमारा हिंदुस्तान ? देश की फिल्में देश की भाषा से ही कट जाएँ वो उस देश की भावनाओं से कैसा घटिया मजाक कर रही हैं ?क्यों पैसे की ताकत सिर्फ़ उन्ही के हाथों में है जो न हिन्दी जानते हैं न समझते हैं और चल देते हैं आम जनता की भावनाओं की फिल्में बनाने दुनिया की जीतनी भी फिल्म ऑस्कर में जाती है वो अपने देश की भाषा को ठुकराकर नही बल्कि गले से लगाकर ही झंडा फहरा पाती हैं क्या हमारा देश पागलों का देश है ?और सारे संसाधन भी हिन्दी को पैरों की धुल समझने वालों के हाथ में है अनुराग कश्यप जी की फिल्मों ने काफ़ी सशक्त निर्देशन का संकेत दिया लेकिन कहानी की कमी से वे भी जूझ रहे हैं ?कमाल की विडम्बना है भाई ?भगवन बचाए ऐसे देश के कर्णधारों से
27 फ़रवरी 2009
देश के तमाम tv चैनलों के ऑफिस हमेशा के लिए बंद ?
आज रात बारह बजे इस देश के कोने कोने से जुटी पचास लाख भूखे नंगे लोगों ने देश की राजधानी में स्थित तमाम टेलिविज़न चैनलों के ऑफिस को हमेशा के लिए बंद कर दिया ?लोगों का कहना है की पिछले कई सालों से हर टीवी चैनल सिर्फ़ अमीरों की कहानियाँ दिखा रहा था इसलिए गरीब लोगों ने इकठ्ठा होकर एक प्लान बनाया की सरे टीवी चैनलों को बंद कर दिया जाए सबसे बड़ी ख़बर तो ये है की पुलिस ने भी जनता की पुरी मदद की टीवी चैनल के मालिकों की बात मनाकर जनता के ख़िलाफ़ कोई भी एक्शन लेने से इंकार कर दियादिल दहला देने वाली इस घटना को अंजाम देनेवाले तमाम लोग पूरी तरह नंगे थे
25 फ़रवरी 2009
अजीब है ये देश भाई लोगों ?इतनी बड़ी ख़बर कि कांग्रेस और बीजेपी का विलय हो गया सुनकर भी देश की आम जनता खामोश बैठी है आख़िर क्यों ?क्या हुआ है भाई हमें ?क्या सचमुच हमारा जमीर मर चुका है?शायद हाँ
लेकिन हम ये नहीं जानते मरे हुए जमीर का आदमी या देश ज्यादा दिन तक जिंदा नहीं रह सकता जिस देश की धड़कनों ने धड़कना बंद कर दिया हो वो देश आख़िर कब तक जिंदा रह सकता है ?
लेकिन हम ये नहीं जानते मरे हुए जमीर का आदमी या देश ज्यादा दिन तक जिंदा नहीं रह सकता जिस देश की धड़कनों ने धड़कना बंद कर दिया हो वो देश आख़िर कब तक जिंदा रह सकता है ?
24 फ़रवरी 2009
कांग्रेस और बीजेपी का सनसनीखेज विलय ?
आज की सबसे सनसनीखेज खबर ये है की कांग्रेस और बीजेपी ने वर्तमान हालत में मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है ,इसका सबसे बड़ा कारन ये बताया जा रहा है की देश के कोने कोने में रहनेवाली जनता ने पिछले ५० वर्षों की सामंतवादी साजिश का पर्दाफाश कर दिया है और दोनों पार्टियों के नेता जनता के सामने पूरी तरह नंगे हो चुके हैं आज रात हुई एक बेहद गोपनीय meeting में दोनों दलों के शीर्ष netaaon ने करीब पाँच घंटे तक चली बैठक में पूरे देश को हिला देनेवाली घटना को अंजाम दिया सवाल ये है की देश की जनता दोनों बड़ी पार्टियों के निर्णय को किस रूप में देखे ?क्या ये देश की जनता के साथ खिलवाड़ है या देश की भलाई के लिए देशहित में लिया गया निर्णय ?क्योंकि अब जनता जाग चुकी है और जनता की भावनाओं का प्रतिविम्ब बनकर अनेक प्रांतीय पार्टियाँ देश की राजनीती में एक सशक्त ताकत बनकर कांग्रेस और बीजेपी के सामने सीना तानकर खड़ी हैं -----
------- और मैं एक पागल आदमी भौंचक्क सा खडा देख रहा हूँ ,इन दोनों पार्टियों की इस अनैतिक हरकत को ?
------- और मैं एक पागल आदमी भौंचक्क सा खडा देख रहा हूँ ,इन दोनों पार्टियों की इस अनैतिक हरकत को ?
23 फ़रवरी 2009
देव और दानव के संघर्ष में जीत किसकी हुई, यहाँ बहस ka मुद्दा ये नही है बल्कि मुद्दा ये है की उस जीत ने आनेवाली pirhiyon के बीच क्या संदेश प्रसारित किया एक के बाद एक निकले रत्नों को सिर्फ़ दूर से बैठकर तमाशा की तरह देखने वाले भोले शंकर शिव आख़िर क्यों उस समय विनाश का प्रतिरूप बने विष को अपने गले के भीतर उतारने में सबसे आगे रहे थे ?शायद इसी लिए हिंदू देवताओं में शिव की छवि एक आम जन के देवता की है शायद दुनिया का पहला समाजवादी देवता जिसने भूत pishaach देवी देवता सबको एक तराजू पर तौलकर ख़ुद को दुनिया का पहला समाजवादी साबित किया समुद्र मंथन में देवताओं का चारित्रिक पतन अपने चरम पर दिखाई देता है देवताओं के उस चरित्र को देखकर हमें आज के नेताओं का रूप दिखाई देता है क्या आप भी मेरी बात से सहमत हैं ?
18 फ़रवरी 2009
परवेज मुशर्रफ जी क्या चाहते हैं आप ?रस्सी जल जाने पर भी ऐंठन दिखाना कहाँ का न्याय है अरे भाई अपनी पीठ पर आज भी अमेरिकी सरकार के हाथ को महसूस कर रहे हैं क्या ? मुझे तो ऐसा लग रहा है की आप रातों में जब भी अकेले सोते होंगे तो हर रात यही गीत गाते होंगे - कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन पाकिस्तानी सरकार का राष्ट्रपति ही जब इतना बेबस और लाचार है तो जनाब आप क्यों बयां देने के लिए उछाल कूद मचा रहे हैं?मैं कभी-कभी एक अजीब सा sapana देखता हूँ देखता हूँ की bhaarat pakistan एक हो गए हैं और saari duniya sansaar के maanchitra पर ubhar रहे एक देश की शक्ति से aatankit है
17 फ़रवरी 2009
हम पागल तो नही हो गए हैं ?
आज रात मैंने एक अजीब सा सपना देखा देखा की सारे देश की जनता ने देश के नेताओं को बिच सड़क पर सरेआम नंगा कर दिया है सारे बड़े नेता अपनी अस्मिता को बचने की खातिर ख़ुद को ढंकने का असफल प्रयास कर रहे हैं अचानक कुछ टूटने की आवाज आई और मेरा सपना टूट गया आँखें खुलते ही देखा की सब कुछ पहले कीतरह ही खामोशी से चल रहा है इस खामोशी में सिर्फ़ एक चीज है जो खामोश नहीं है और वो है मेरा उथल पुथल से भरा हुआ मन् हाँ मेरा मन खामोश नहीं है
14 फ़रवरी 2009
देरी के लिए माफ़ी चाहता हूँ ,सोये सम्राटों को जगाने में मेरा साथ देनेवाले मेरे दोस्तों रेल का बजट पेश करके जनताको बेवकूफ बनाने वाले हमारे आदरणीय लालू जी कब तक झूठे सपने झूठे वादे का झुनझुना दिखाकर ठगते रहेंगे ? और आख़िर लालू जी को ही हम दोषी क्यों ठहराएँ इस देश में रेल मंत्री बनने वाला हर नेता ट्रेन में यात्रा किए अपंने कष्टदायक दिनों को भूल जाता है काश हम याद दिला सकें उन्हें उनके कष्ट भरे दिनों को धक्के पर धक्के खाते हुए हमारे नेतागण अपनी मंजिलें तय किया करते थे रलवे कोई निजी सम्पत्ति नहीं है लालूजी की उसे फायदे में दिखाकर आप करोड़ों जनता की वाहवाही बटोर लें लालूजी अरेभई किस मुगालते में जी रहे हैं आप बाहर निकालिए इस धोखे की दुनिया से
10 फ़रवरी 2009
क्या देश का क़ानून सिर्फ़ उतना ही न्याय का दिखावा करता है जितना की इस बात के लिए जरूरी है की जनता बगावत कराने का ख्याल मन सेनिकालदे ?शायद हाँ लड़कियों को बराबर अधिकार दिलाने के लिए न जाने कितने क़ानून बनते हैं हर रोज लेकिन ये सब सिर्फ़ एक घटिया मजाक बनके रह जाता है | आख़िर क्यों ? कराती है सरकार इतना घटिया मजाक देश की मासूम और अबोध बच्चियों के साथ?क्या ख़ुद को ब्बुद्धिजिवी कहलवाने वाले हमलोग क्यों खामोश बैठे देश की आधी आबादी के साथ होते चले जा रहे इस जुल्म के ख़िलाफ़ एक आवाज तक उठाने को तैयार नही हैं ?क्यों ? क्यों ?अब चुप रहने से काम नहीं चलनेवाला , अब कहीं न कहीं से आवाज uth
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