29 मई 2011

सरकार नहीं तो कौन जिम्मेदार है ?

देश की जनता भयंकर मंहगाई से त्राहि -त्राहि कर रही है और सरकार में बैठे नेता कहते हैं  हम क्या करें ? कौन करेगा तब ?क्या भगवान अवतार लेंगे धरती पर ?देश की जनता सवाल पूछना चाहती है नेताओं से की वोट तो हमने तुम्हे दिया है या देश की तेल कंपनियों को ?एक अम्बानी है तो कई अरब के मकान अपनी पत्नी को उपहार में देता है ,अरबों का हवाई जहाज देता है अपनी बीबी को ,लाखों करोड़ रुपये जमा हैं देश के चंद लोगों के हाथ में|क्या वो नहीं दिखता सरकार को ? बस नेताओं को यही दिखता है की कई करोड़ सब्सिडी में जा रहा है ?
                                       क्यों डरती है सरकार ,चंद बड़े उद्योगपतियों से ?क्या उन्होंने ही अपना मत देकर उन्हें बैठाया है कुर्सी पर ?
                                                                                     नहीं सरकार को भी पता है की वो कितनी बेईमान और गद्दार  से देश की करोड़ों जनता के प्रति|
          मैं एक बार फिर चेतावनी देना चाहता हूँ मुठ्ठी भर बेईमान देश के उद्योगपतियों ,नेताओं और नौकरशाहों को की चेत जाओ नहीं अगर जनता का गुस्सा ज्वालामुखी बनके फट पडा फिर भगवान भी नहीं बचा सकता उनको |
   सावधान ?  

25 मई 2011

ये सरकार नहीं जल्लाद

कल पता चला ,देश की सरकार डीजल का दाम सोलह रुपये बढ़ने पर विचार कर रही है |
                      तर्क दिया जा रहा है कि डीजल पर दी जा रही सब्सिडी का लाभ कार रखनेवाले लोग उठा रहे हैं | वाह रे ढोंगी सरकार !अब महसूस हो रहा है कि देश कि सत्ता  कुछ ऐसे लोगों के हाथ में चली गई है जो देश की जनता को अपने फायदे के लिए तिल -तिल कर मरने के लिए भी मजबूर कर सकते हैं | क्या बेहूदा तर्क है -की आमिर लोग सब्सिडी का फायदा उठा रहे हैं इसलिए इसे बंद कर दिया जाए |  सिर्फ पंद्रह प्रतिशत अमीर ही ऐसे हैं जिनके पास डीजल की कारें हैं |इन पंद्रह प्रतिशत लोगों को रोकने के लिए सरकार पच्चासी प्रतिशत जनता को भयंकर मंहगाई के मूंह में धकेलने को तैयार है |
            इस देश के भ्रष्ट और बेईमान नौकरशाहों के पास न जाने कितने हजार करोड़ रुपये ऐयासी के लिए लिए रखे पड़े हैं वो नहीं दीखता इन सत्ताधारी भूखे भेडियों को,लेकिन एक सौ पच्चीस करोड़ रुपये जो डीजल पर सब्सिडी है ,जिसके कारण मंहगाई में भी  आम  भारतीय ज़िंदा रह सकता है ,लेकिन अब उसे ख़त्म करके इतनी मंहगाई बढ़ा देने की कोशिश हो रही है की आम आदमी एक जून खाना खाकर रहने के लिए विवश हो जाए |
            देश की सरकार में बैठे लोगों को सावधान हो जाना चाहिए कि कहीं ऐसा न हो कि जनता बगावत कर बैठे और फ़्रांस कि राज्यक्रांति कि तरह यहाँ के भी सत्ताधारी वर्ग कि बगावत कि आग  जल कर भस्म होना पड़े |