13 जून 2010

नीतीशजी ! असली सोना हैं तो डर कैसा

नीतीशजी ! असली सोना हैं तो डर कैसा?
                                                      एक फोटो  क्या निकला मोदी  जी के साथ ,नीतीश जी बौखला गए ||अरे भाई माना की आप धर्मनिरपेक्ष हैं ,बड़ी फ़िक्र है आपको देश के मुसलमानों की |लेकिन क्या हो गया अगर फोटो में आप उनके साथ दिख गए | लोकतांत्रिक भारत के एक राज्य के एक मुख्यमंत्री हैं वो |क्या ये गुजरात की जनता का अपमान नहीं है की उसके मुख्यमंत्री के साथ एक फोटो में दिखना तक मंजूर नहीं है आपको! बिहार में मुस्लिम भाइयों के लिए जो करना है आप ख़ुशी ख़ुशी करिए| क्या ये फोटो आपको कुछ करने से रोक रहा है ?
                                        कमाल hai   भाई |आपका ये राजनितिक ड्रामा हमारी समझ से बाहर है |शायद बिहार का चुनाव करीब है इसलिए मुस्लिम 
मतदाताओं की फ़िक्र में दुबले होते जा रहे हैं आप | चिंता मत करिए अगर आपकी नीयत साफ़ है तो मुस्लिम जरूर आपका साथ देगा |इसलिए बंद करिए इस तस्वीर पर चिल्लाना भाई और ध्यान दीजिये सिर्फ काम पर |ये काम ही समर्थन दिलाएगा आपको |न की धर्मनिरपेक्षता का ढोंग |

11 जून 2010

मतदाता का अंतर्विरोध

मतदाता का अंतर्विरोध !  
                                 बिहार के दौरे पर था |गोपालगंज  में कुछ लोगों ने पूछा की आपको क्या लगता है कि नीतीश जी दुबारा सत्ता में लौटेंगे ! बड़ा कठिन सवाल था | 
                कुछ  दिन पहले का नीतीश जी का भाषण याद आ गया |वे वाशिंगटन पोस्ट अखबार की एक खबर का हवाला दे रहे थे जिसमें कहा गया था कि विकास दर के मामले में बिहार भारत के अन्य राज्यों से आगे है | वे कहना ये चाह रहे थे कि उनके राज में बिहार काफी विकास कर रहा है | 
 उसी वक़्त एक दूसरी खबर भी कौंध गई दिमाग में कि बिहार के कोसी क्षेत्र के एक गाँव की दुर्दशा देखकर अमेरिका के बिल गेट्स इतने पिघले की उन्होंने गाँव को गोद ले लिया | क्या नीतीश जी बताएँगे कि जब आनेवाली बरसात एक बार फिर कहर ढायेगी तो कोसी के गाँव की कैसे रक्षा करेंगे वे ?
                                       क्या बिहार का बहुमत मतदाता अखबार पढ़ता है ? वाशिंगटन पोस्ट का नाम भी शायद नहीं सुना होगा बिहार के बहुसंख्यक मतदाताओं ने |  जिस मीडिया के माध्यम से नीतीश  जी नायक बनने का ख्वाब देख  रहे हैं वो शायद ही मददगार हों नीतीश जी के लिए आनेवाले विधानसभा चुनाव में |
                                                मैंने उन सज्जन को ये सारी बातें  बताई|
शायद  यही विडम्बना है इस देश की राजनीति की| 
                                                                   नीतीश  मध्यम वर्ग को बेवकूफ बना रहे हैं|  और भैया लालू जी पंद्रह साल बेवकूफ बनाकर बिहार पर ऐसा राज कर गए कि आज भी एक दू: स्वप्न की तरह याद आता है वो बिहार |
              न जाने  कब ख़त्म होगा बेवकूफ बनने का सिलसिला |  क्या है कोई रास्ता ? यदि है तो मुझे बताएं आप |