14 जून 2009

मनमोहन सिंह जी |क्या बदल पायेंगे देश की मानसिकता को |

प्रधानमंत्री जी ,आपने वादा किया था सौ दिन में देश की अर्थव्यवस्था को पुरी तरह बदल देने का ,लेकिन आपकी मंत्री ममता बेनर्जी जी के फैसले तो कुछ और ही संकेत दे रहे हैं अग्रिम टिकट की व्यवस्था को रद्द करके लोगों की परेशानियों को बढाकर उन्हें क्या मिला इसे जनता समझ नहीं पा रही है उन्हें समझाईये भाई,अपनी हनक दिखाने का कोई और तरीका खोजें

12 जून 2009

आज का पाठ:अंक छ :शुक्र

जिन लोगों का जन्म किसी भी महीने की छ ,पन्द्रह,चौबीस ,तारीख को होता है उनका जन्मांक,होता है --छ इस अंक का मालिक है -शुक्र शुक्र से प्रभावित लोगों का व्यक्तित्त्व बहुत ही आकर्षक होता है इस अंक से प्रभावित स्त्रियाँ पुरुषों के बीच काफ़ी लोकप्रिय होती हैं सिनेमा,कला,आदि क्षेत्रों में ऐसे लोग काफ़ी सफल रहते हैं अंक पाँच,चार,आठ जन्मांक वाले इनके मित्र होते हैं .अंक छ वाले देखने में काफ़ी सुंदर होते हैं स्त्रियाँ सहज ही इनकी ओर aआकर्षित हो जाती हैं इनको अपने नाम में ऐसा परिवर्तन करना चाहिए की नाम का मूलांक चार,पाँच,छ,या आठ आए

09 जून 2009

आज का पाठ :अंक पाँच

अंक पाँच का मालिक है मिथुन राशिः यानी बुध जिन लोगों का जन्म किसी भी महीने की पाँच,चौदह,और २३ तारीख को हो unaka bhagyank अंक पाँच होता है ,अंक पाँच के mitra अंक हैं-चार,६,८,inake नाम का mulank ६,८,yaa पाँच होने पर जीवन का vikaas होता है

07 जून 2009

आज का पाठ:अंक चार :राहू

अंक चार का मालिक है राहू:जिन लोगों का जन्म किसी भी महीने की चार,तेरह,बाईस , और इकतीस तारीख को हुआ है उनका भाग्यांक अंक चार होता है अंक चार का मालिक राहू है .राहू से प्रभावित लोगों का कोई भी कार्य बिना बाधा के पुरा नहीं होताअक्सर समाज इनको इनकी क्षमता से कम आंकता है इनका जीवन संघर्ष से भरा रहता है अंक पाँच,छ,और आठ वाले इनके मित्र होते हैं इन लोगों से मित्रता लाभदायक होती है अंक चार वालों को चाहिए की अपने नाम में ऐसा परिवर्तन लायें की नाम का मूलांक चार,पाँच,छ ,या आठ आए

आज का पाठ :अंक -तीन :बृहस्पति

अंक तीन का मालिक है -बृहस्पति यानी गुरु जिन लोगों का जन्म किसी भी महीने की तीन,बारह,इक्कीस ,तीस तारीख को हुआ है उनका भाग्यांक अंक तीन होता है गुरु ग्रह का प्रभाव इनके जीवन पर मजबूती से रहता है .अंक एक,दो,और नौ भाग्यांक वाले इनके मित्र होते हैं यानी इन लोगों के साथ यदि कोई भी कार्य किया जाए तो सफलता मिलती है भाग्यांक तीन वालों को अपने नाम के अक्षरों में ऐसा परिवर्तन करना चाहिए की नाम का मूलांक एक,दो,तीन,और नौ आए

04 जून 2009

अंक ज्योतिष का दूसरा पाठ:अंक -दो

अंक दो का मालिक चंद्रमा है जिन लोगों का जन्म किसी भी महीने की दो,ग्यारह ,बीस ,और उनतीस तारीख को हुआ है उनका भाग्यांक होगा -दो ऐसे लोग स्वभाव से चंचल होते हैं ,देखने में गोरे ,लंबे,चेहरा गोल होता है चेहरे पर हर वक्त मुस्कान रहती है जहाँ भी रहते हैं चंद्रमा की तरह इनकी कीर्ति फैलती रहती है अगर इनके नाम का मूलांक दो,एक,और तीन हो तो उनकी काफ़ी उन्नति होती है अगर आवश्यकता हो तो अपने नाम में हेर फेर करके अपने भाग्य को बदल सकते हैं अंक एक,और तीन इनके मित्र अंक हैं

30 मई 2009

आज का पाठ :अंक ज्योतिष

शायद आपको यकीं न हो ल्र्किन ये सच है की एक से नौ तक के अंकों me हर aadami का भविष्य छिपा पड़ा है जैसे sabase pahale लेते हैं अंक एक को ये sury का अंक है यानी जिन लोगों का जन्म किसी भी महीने की एक,दस ,unnis और aththais tarikh को हुआ है उनका bhagyank एक hogaa यानी एक अंक उनके पूरे जीवन को कंट्रोल करेगा और unake लिए एक अंक bhagyashali होगा raviwar का दिन unake लिए bhagyashali होगा
soorya aasamaan का सबसे tejaswi ग्रह है isaliye एक अंक bhagyank wale लोग bahoot ही tejswi होते है जैसे swargiya इंदिरा gaandhi जिनका जन्म unniss तारीख को हुआ था
अंक दो के बारे men कल -----

28 मई 2009

ज्योतिः कोई ढोंग नही है बल्कि एक पुरी तरह से विज्ञानं है

आज से बीस साल पहले मैं भी ज्योतिष को एक ढोंग ही मानता था लेकिन जब उसका गहरे से अध्ययन किया तो मेरा भ्रम दूर हो गया आज से ज्योतिष पर हर रोज मैं कुछ ऐसी जानकारियाँ अपने ब्लॉग पर देना शुरू कर रहा हूँ जिससे ज्योतिष के बारे में एक नै दृष्टि सामने आएगी तो कल से आप के सामने मैं एक ज्योतिषी के रूप में आपसे हर रोज मुखातिब होऊंगा

23 मई 2009

गजब है ये देश भाई ?भींगा के जूता मरना इसी को कहते हैं भाई|

खेल का तमाशा बंद हो गया भाई अब तो न जाने कितने तम्बू उखड गए ,कितने तहस नहस हो गए अरे आडवानी जी ,देश नौजवानों का है आप क्यों नही सन्यास ले लेते भाई लोक में तो प्रधानमंत्री नही बन सके शायद परलोक में जाकर ही गद्दी नसीब हो इसलिए मेरी सलाह मानिए और नागपुर जाकर संघ के आश्रम में जाकर कुछ पुण्य कमा लें अरे भाई पुनर्जन्म में तो आपका विश्वास है न फिर क्यों घबराते हैं भाई अगला जनम है ना

21 मार्च 2009

आंखों में उम्मीद और दिल में जलजला है ?

आंखों में उम्मीद और दिल में जलजला है कैसे कहें की कैसे जिन्दा हैं हम ?चीख रही है प्रकृति और चीख रहा है ये आसमान भी की ये दुनिया को बनानेवाले क्यों झूठ की इस दुनिया में कबतक मेहमान हो तूम भी ये खुदा बदलो अपने नियम एक एक ऐसी ऐसी कहानी कहानी तो तुम्हारा तुम्हारा उखाड़ फेंकेंगे तुम्हारी हुकूमत और खामोश सिर्फ़ कहानी बनकर ऐसीएक जायेगा तू!एक ऐसी कहानी की तुम्हारा नामलेवा भी नहीं बचेगा इस दुनिया में क्या यही चाहते हो तुम भी?

16 मार्च 2009

क्या चाहते हो संसद तमाशा बन जाए?क्या कहा हाँ ?

कब मिलेगा हमें देश की छाती पर दानव की तरह सवार सफ़ेद नेताओं को वापस बुलाने का अधिकार ?इस देश के आधे से ज्यादा मतदाताओं को तो मालूम ही नहीं है की जयप्रकाश नारायण कौन थे >अरे नौजवान साथियों इन्होने ही तो पहली बार चीख चीख कर पुकार की देश के नेताओं के सामने की देश की जनता को अपने सांसदों को पाँच बरस के पहले भी वापस बुलाने का अधिकार होना चाहिए मगर आप को फुरसत कहाँ है नौजवान भाइयों की आप जान सकें की जिस आजादी की साँस लेकर मौज मस्ती में जी रहे हैं आप वो उन्ही की देन है जिनका नाम तक नहीं जानते हैं आप अब समय आ गया है की हम दबाव बनायें की हमें हर उम्मीदवार को नकारने का अधिकार मिले .

12 मार्च 2009

देश के चौकीदारों |सावधान ?

सन 2009 के april से may के महीनों के बीच deश में कई हजार लूटेरे देश के अनेक भागों में भयानक लूटपाट मचानेवाले हैं इसलिए आप तमाम लोगों को आगाह किया जाता है किiन आनेवाले एक महीनों में दिमाग को खोलकर रहने कि जरुरत है क्योंकि ये हमलावर पारंपरिक हथियारों से नहीं बल्कि नए और अनजाने हथियारों से लैस हैं इनकी पहचान ये है कि ये अक्सर सफ़ेद कपडों में दिखाई देते हैं और कभी कभी सफ़ेद पैंट शर्ट में भी दिखाई देते हैं इनकी जुबान मीठी हिती है और ये बात बात में वादे करते हैं ,आश्वासन देते हैं इनके हाथों में कभी नोटों के बण्डल तो कभी खुबसूरत साडियां और कम्बल होते हैं ये हमें ऐसे लूटते हैं कि हमें एहसास तक नहीं होता कि हम लूट गए .ये हमारा कत्ल नहीं करते ,बल्कि धीरे धीरे हमें मौत के आगोश में ले जाते हैं और हमें इस तरह मार डालते हैं कि अपनी मौत के गुनहगर हम खुद नजर आते हैं -----------इसलिए -----

बा !अदब !बा मुलाहिजा !होशियार
हर खासोआम को इत्तला दी जाती है

कि आज से एक महीने बाद !
अपने घरो कि कि खिड़कियाँ और दरवाजे !डेढ़ माह के लिए बंद रखें ?
ताकि देश किराछा कि जा सके !

11 मार्च 2009

होली मुबारक हो ?मगर क्यों ?

कैसे कहूं की होली मुबारक हो ?दिल में जलजला है और आँखें में एक एक ऐसे दर्द का उन्माद छाया है जिसे मजबूर भी नहीं कर सकता की ऐ बह चलें जालिम दुनिया के ठहाकों का सामान बनने अरे छिपाते पूरे साल भर दिल के भीतर उठाते तूफ़ान को और जब आती है होली तो सोचते हो रंगों की आड़ में ,परम्परा की छाँव taले निकाल लें अपने दिल की भड़ास ?अरे क्यों भरे हो इतनी नफरतों से की एक खूबसूरत सा त्यौहार सिर्फ़ मन की भड़ास निकालने का एक अवसर मात्र बनकर raह जाता है कोशिश तो करें की आनेवाला साल के हर नए दिन ही निकलतें रहें अपने थोड़े गुस्से ,थोड़े झूठ ,थोड़े नफ़रत ताकि जब आए होली तो जी भर कर झूम सकें ,नाच सकें .जी भर कर अपने जिंदादिल दिल को खुराक दे सकें आज इतना ही ?अरे भाई होली है आज

08 मार्च 2009

ऑस्कर क्या देश के करोड़ों लोगों की भावनाओं का खिलवाड़ नहीं है?

आज देखा हिंदुस्तान दैनिक में महिला सशक्ति करण की वकालत करते एक पन्ने पर सबसे ऊपर चेहरा था "स्माइल पिंकी "नाम की फ़िल्म की मुख्या पात्र एक लड़की का ,उसे ऐसे प्रकाशित किया जाया रहा है जैसे हमारे देश ने सारी दुनिया पर अपना झंडा लहरा दिया है अजीब पागलपन है देशवाशियों अरे हमारे हिंदुस्तान में लाखों या करोड़ों लड़कियाँ हैं जो नजाने देश के किस कोने में दब कर और कुचलकर विलुप्त हो जाती हैं और कोई ऑस्कर नही मिलाता उन्हें कोई सरकार गोद नही लेती उन्हें क्योंकि मीडिया को एक कहानी मिली है और झूठे पाखंड का झुन्झुन्ना थमाकर हिंदुस्तान पर राज करनेवालों नकली चेहरों को एक मौका की वे अपने पाप को छिपाकर महानता का मुखौटा लगा सकें इसीलिए पिंकी सबकी प्यारी है वाह रे चालाकों की दुनिया ?

07 मार्च 2009

देश में आग लगी है और देश के लीडर बांसूरी बजा रहे हैं ?

शायद इतिहास ख़ुद को दोहरा रहा है या की एक नया इतिहास बन रहा है .चाहे जो भी हो पर सच्चाई yaही है की देश में आग लगी है और हमारे नेता चैन की बांसूरी बजा रहे हैं हम कौन सा नगाडा बजाएं या कौन सी चीख पैदा करें की इनकी आंखों पर पड़ा परदा हट जाए.

04 मार्च 2009

क्या पागल शासकों के इस देश में सच्चाई सिर्फ़ एक कथा होगी

झूठ का बाजार इतना गरम है की सच्चाई और सच बोलनेवालों को पागल करार देकर चुप रहने को मजबूर कर दिया गया है .अनुराग कश्यप जी ,देव डी से क्या संदेश देना चाहते हैं ?शरतचंद्र जी के ऊपन्यासों की टूटी हुई भावुकता का मैं भी घोर विरोधी हूँ लेकिन ये कमजोरी आप निर्देशकों की है की शरत जी दूसरे महान ऊपन्यासों को आपलोग उपेछित कर देते हैं और देवदास के नाम पर शरत जी का मजाक बनाते हैंअपनी आँखें क्यों नहीं खोलते बॉलीवुड के निर्देशक ?क्या इनकी आंखों पर भी देश के नेताओं की तरह मोटा परदा पड़ गया हैं ?शायद हाँ

01 मार्च 2009

आ गया थके मांदे इंसानों को लूटने का त्यौहार ?

बहूत जल्द ही शुरू होनेवाला है पाँच बरस में सिर्फ़ एक बार होनेवाला खेल ?एक ऐसा खेल जिसमे " एक आदमी रोटी बेलता है ,एक आदमी रोटी सेंकता है ,एक तीसरा आदमी भी है जो न रोटी बेलता है न सेंकता है ,वो रोटी से खेलता है वो तीसरा आदमी कौन है ?मेरे देश की संसद मौन है " जी हाँ कवि धूमिल की भाषा में शायद अच्छी तरह समझा जा सकता है इस झूठ और पाखण्ड को लेकिन क्या करें भाई हम ?तमाशबीन बने हैं हम भी तो आख़िर पिछले साठ वर्षों से क्या आपने कल्पना की है कभी ऐसे दृश्य की ,जब संसद में पांच सौ पैंतालिस सीटों पर देश की किसी जेल में रहनेवाले अपराधी ही चुनाव जीत कर आ जायें जी हाँ तब उसी किसी एक में से हमें प्रधानमंत्री का भी चुनाव करना पड़ेगा तब ज़रा सोचिये की क्या होगा इस देश का

28 फ़रवरी 2009

अरे भाई सोचेंगे अंग्रेजी में और बनायेंगे हिन्दी में ?

क्या आपने कभी सोचा है की इतने बड़े बम्बैया फ़िल्म इंडस्ट्री में हजारों फिल्म बनती हैं लेकिन आजतक किसी को ऑस्कर क्यों नहीं मिला ?आज से एक वर्ष पहले निर्देशक अनुराग कश्यप से मेरी मुलाकात हुई थी .उन्होंने मुझसे कहा की हिन्दी सिनेमा के निर्देशक कहानी की कमी से जूझ रहे हैं मैं कुछ कहानियाँ लेकर गया था उनसे मिलाने कुछ देर के बाद उन्होंने कहा की बॉलीवुड के निर्देशक कहानियाँ और पटकथा अंग्रेजी में लिखते हैं भले फिल्में हिन्दी में बनायें उनकी बातें मेरे लिए अच्छा खासा झटका थीं .अब आप ही सोचिये क्या अब बाकी है इस पहेली को समझाना की क्यों एक ऑस्कर के लिए तरस गया हमारा हिंदुस्तान ? देश की फिल्में देश की भाषा से ही कट जाएँ वो उस देश की भावनाओं से कैसा घटिया मजाक कर रही हैं ?क्यों पैसे की ताकत सिर्फ़ उन्ही के हाथों में है जो न हिन्दी जानते हैं न समझते हैं और चल देते हैं आम जनता की भावनाओं की फिल्में बनाने दुनिया की जीतनी भी फिल्म ऑस्कर में जाती है वो अपने देश की भाषा को ठुकराकर नही बल्कि गले से लगाकर ही झंडा फहरा पाती हैं क्या हमारा देश पागलों का देश है ?और सारे संसाधन भी हिन्दी को पैरों की धुल समझने वालों के हाथ में है अनुराग कश्यप जी की फिल्मों ने काफ़ी सशक्त निर्देशन का संकेत दिया लेकिन कहानी की कमी से वे भी जूझ रहे हैं ?कमाल की विडम्बना है भाई ?भगवन बचाए ऐसे देश के कर्णधारों से

27 फ़रवरी 2009

देश के तमाम tv चैनलों के ऑफिस हमेशा के लिए बंद ?

आज रात बारह बजे इस देश के कोने कोने से जुटी पचास लाख भूखे नंगे लोगों ने देश की राजधानी में स्थित तमाम टेलिविज़न चैनलों के ऑफिस को हमेशा के लिए बंद कर दिया ?लोगों का कहना है की पिछले कई सालों से हर टीवी चैनल सिर्फ़ अमीरों की कहानियाँ दिखा रहा था इसलिए गरीब लोगों ने इकठ्ठा होकर एक प्लान बनाया की सरे टीवी चैनलों को बंद कर दिया जाए सबसे बड़ी ख़बर तो ये है की पुलिस ने भी जनता की पुरी मदद की टीवी चैनल के मालिकों की बात मनाकर जनता के ख़िलाफ़ कोई भी एक्शन लेने से इंकार कर दियादिल दहला देने वाली इस घटना को अंजाम देनेवाले तमाम लोग पूरी तरह नंगे थे

25 फ़रवरी 2009

अजीब है ये देश भाई लोगों ?इतनी बड़ी ख़बर कि कांग्रेस और बीजेपी का विलय हो गया सुनकर भी देश की आम जनता खामोश बैठी है आख़िर क्यों ?क्या हुआ है भाई हमें ?क्या सचमुच हमारा जमीर मर चुका है?शायद हाँ
लेकिन हम ये नहीं जानते मरे हुए जमीर का आदमी या देश ज्यादा दिन तक जिंदा नहीं रह सकता जिस देश की धड़कनों ने धड़कना बंद कर दिया हो वो देश आख़िर कब तक जिंदा रह सकता है ?

24 फ़रवरी 2009

कांग्रेस और बीजेपी का सनसनीखेज विलय ?

आज की सबसे सनसनीखेज खबर ये है की कांग्रेस और बीजेपी ने वर्तमान हालत में मिलकर चुनाव लड़ने का फैसला किया है ,इसका सबसे बड़ा कारन ये बताया जा रहा है की देश के कोने कोने में रहनेवाली जनता ने पिछले ५० वर्षों की सामंतवादी साजिश का पर्दाफाश कर दिया है और दोनों पार्टियों के नेता जनता के सामने पूरी तरह नंगे हो चुके हैं आज रात हुई एक बेहद गोपनीय meeting में दोनों दलों के शीर्ष netaaon ने करीब पाँच घंटे तक चली बैठक में पूरे देश को हिला देनेवाली घटना को अंजाम दिया सवाल ये है की देश की जनता दोनों बड़ी पार्टियों के निर्णय को किस रूप में देखे ?क्या ये देश की जनता के साथ खिलवाड़ है या देश की भलाई के लिए देशहित में लिया गया निर्णय ?क्योंकि अब जनता जाग चुकी है और जनता की भावनाओं का प्रतिविम्ब बनकर अनेक प्रांतीय पार्टियाँ देश की राजनीती में एक सशक्त ताकत बनकर कांग्रेस और बीजेपी के सामने सीना तानकर खड़ी हैं -----
------- और मैं एक पागल आदमी भौंचक्क सा खडा देख रहा हूँ ,इन दोनों पार्टियों की इस अनैतिक हरकत को ?

23 फ़रवरी 2009

देव और दानव के संघर्ष में जीत किसकी हुई, यहाँ बहस ka मुद्दा ये नही है बल्कि मुद्दा ये है की उस जीत ने आनेवाली pirhiyon के बीच क्या संदेश प्रसारित किया एक के बाद एक निकले रत्नों को सिर्फ़ दूर से बैठकर तमाशा की तरह देखने वाले भोले शंकर शिव आख़िर क्यों उस समय विनाश का प्रतिरूप बने विष को अपने गले के भीतर उतारने में सबसे आगे रहे थे ?शायद इसी लिए हिंदू देवताओं में शिव की छवि एक आम जन के देवता की है शायद दुनिया का पहला समाजवादी देवता जिसने भूत pishaach देवी देवता सबको एक तराजू पर तौलकर ख़ुद को दुनिया का पहला समाजवादी साबित किया समुद्र मंथन में देवताओं का चारित्रिक पतन अपने चरम पर दिखाई देता है देवताओं के उस चरित्र को देखकर हमें आज के नेताओं का रूप दिखाई देता है क्या आप भी मेरी बात से सहमत हैं ?

18 फ़रवरी 2009

परवेज मुशर्रफ जी क्या चाहते हैं आप ?रस्सी जल जाने पर भी ऐंठन दिखाना कहाँ का न्याय है अरे भाई अपनी पीठ पर आज भी अमेरिकी सरकार के हाथ को महसूस कर रहे हैं क्या ? मुझे तो ऐसा लग रहा है की आप रातों में जब भी अकेले सोते होंगे तो हर रात यही गीत गाते होंगे - कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन पाकिस्तानी सरकार का राष्ट्रपति ही जब इतना बेबस और लाचार है तो जनाब आप क्यों बयां देने के लिए उछाल कूद मचा रहे हैं?मैं कभी-कभी एक अजीब सा sapana देखता हूँ देखता हूँ की bhaarat pakistan एक हो गए हैं और saari duniya sansaar के maanchitra पर ubhar रहे एक देश की शक्ति से aatankit है

17 फ़रवरी 2009

हम पागल तो नही हो गए हैं ?

आज रात मैंने एक अजीब सा सपना देखा देखा की सारे देश की जनता ने देश के नेताओं को बिच सड़क पर सरेआम नंगा कर दिया है सारे बड़े नेता अपनी अस्मिता को बचने की खातिर ख़ुद को ढंकने का असफल प्रयास कर रहे हैं अचानक कुछ टूटने की आवाज आई और मेरा सपना टूट गया आँखें खुलते ही देखा की सब कुछ पहले कीतरह ही खामोशी से चल रहा है इस खामोशी में सिर्फ़ एक चीज है जो खामोश नहीं है और वो है मेरा उथल पुथल से भरा हुआ मन् हाँ मेरा मन खामोश नहीं है

14 फ़रवरी 2009

देरी के लिए माफ़ी चाहता हूँ ,सोये सम्राटों को जगाने में मेरा साथ देनेवाले मेरे दोस्तों रेल का बजट पेश करके जनताको बेवकूफ बनाने वाले हमारे आदरणीय लालू जी कब तक झूठे सपने झूठे वादे का झुनझुना दिखाकर ठगते रहेंगे ? और आख़िर लालू जी को ही हम दोषी क्यों ठहराएँ इस देश में रेल मंत्री बनने वाला हर नेता ट्रेन में यात्रा किए अपंने कष्टदायक दिनों को भूल जाता है काश हम याद दिला सकें उन्हें उनके कष्ट भरे दिनों को धक्के पर धक्के खाते हुए हमारे नेतागण अपनी मंजिलें तय किया करते थे रलवे कोई निजी सम्पत्ति नहीं है लालूजी की उसे फायदे में दिखाकर आप करोड़ों जनता की वाहवाही बटोर लें लालूजी अरेभई किस मुगालते में जी रहे हैं आप बाहर निकालिए इस धोखे की दुनिया से

10 फ़रवरी 2009

क्या देश का क़ानून सिर्फ़ उतना ही न्याय का दिखावा करता है जितना की इस बात के लिए जरूरी है की जनता बगावत कराने का ख्याल मन सेनिकालदे ?शायद हाँ लड़कियों को बराबर अधिकार दिलाने के लिए जाने कितने क़ानून बनते हैं हर रोज लेकिन ये सब सिर्फ़ एक घटिया मजाक बनके रह जाता है | आख़िर क्यों ? कराती है सरकार इतना घटिया मजाक देश की मासूम और अबोध बच्चियों के साथ?क्या ख़ुद को ब्बुद्धिजिवी कहलवाने वाले हमलोग क्यों खामोश बैठे देश की आधी आबादी के साथ होते चले जा रहे इस जुल्म के ख़िलाफ़ एक आवाज तक उठाने को तैयार नही हैं ?क्यों ? क्यों ?अब चुप रहने से काम नहीं चलनेवाला , अब कहीं कहीं से आवाज uth
har roj na jaane kitani ladkiyan
इस देश में आग लगी है और आप रोम के सम्राट नीरो की तरह महल बैठे बांसुरी बजा रहे हैं