17 फ़रवरी 2009

हम पागल तो नही हो गए हैं ?

आज रात मैंने एक अजीब सा सपना देखा देखा की सारे देश की जनता ने देश के नेताओं को बिच सड़क पर सरेआम नंगा कर दिया है सारे बड़े नेता अपनी अस्मिता को बचने की खातिर ख़ुद को ढंकने का असफल प्रयास कर रहे हैं अचानक कुछ टूटने की आवाज आई और मेरा सपना टूट गया आँखें खुलते ही देखा की सब कुछ पहले कीतरह ही खामोशी से चल रहा है इस खामोशी में सिर्फ़ एक चीज है जो खामोश नहीं है और वो है मेरा उथल पुथल से भरा हुआ मन् हाँ मेरा मन खामोश नहीं है

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