23 फ़रवरी 2009

देव और दानव के संघर्ष में जीत किसकी हुई, यहाँ बहस ka मुद्दा ये नही है बल्कि मुद्दा ये है की उस जीत ने आनेवाली pirhiyon के बीच क्या संदेश प्रसारित किया एक के बाद एक निकले रत्नों को सिर्फ़ दूर से बैठकर तमाशा की तरह देखने वाले भोले शंकर शिव आख़िर क्यों उस समय विनाश का प्रतिरूप बने विष को अपने गले के भीतर उतारने में सबसे आगे रहे थे ?शायद इसी लिए हिंदू देवताओं में शिव की छवि एक आम जन के देवता की है शायद दुनिया का पहला समाजवादी देवता जिसने भूत pishaach देवी देवता सबको एक तराजू पर तौलकर ख़ुद को दुनिया का पहला समाजवादी साबित किया समुद्र मंथन में देवताओं का चारित्रिक पतन अपने चरम पर दिखाई देता है देवताओं के उस चरित्र को देखकर हमें आज के नेताओं का रूप दिखाई देता है क्या आप भी मेरी बात से सहमत हैं ?

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