14 फ़रवरी 2009

देरी के लिए माफ़ी चाहता हूँ ,सोये सम्राटों को जगाने में मेरा साथ देनेवाले मेरे दोस्तों रेल का बजट पेश करके जनताको बेवकूफ बनाने वाले हमारे आदरणीय लालू जी कब तक झूठे सपने झूठे वादे का झुनझुना दिखाकर ठगते रहेंगे ? और आख़िर लालू जी को ही हम दोषी क्यों ठहराएँ इस देश में रेल मंत्री बनने वाला हर नेता ट्रेन में यात्रा किए अपंने कष्टदायक दिनों को भूल जाता है काश हम याद दिला सकें उन्हें उनके कष्ट भरे दिनों को धक्के पर धक्के खाते हुए हमारे नेतागण अपनी मंजिलें तय किया करते थे रलवे कोई निजी सम्पत्ति नहीं है लालूजी की उसे फायदे में दिखाकर आप करोड़ों जनता की वाहवाही बटोर लें लालूजी अरेभई किस मुगालते में जी रहे हैं आप बाहर निकालिए इस धोखे की दुनिया से

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