01 मार्च 2009

आ गया थके मांदे इंसानों को लूटने का त्यौहार ?

बहूत जल्द ही शुरू होनेवाला है पाँच बरस में सिर्फ़ एक बार होनेवाला खेल ?एक ऐसा खेल जिसमे " एक आदमी रोटी बेलता है ,एक आदमी रोटी सेंकता है ,एक तीसरा आदमी भी है जो न रोटी बेलता है न सेंकता है ,वो रोटी से खेलता है वो तीसरा आदमी कौन है ?मेरे देश की संसद मौन है " जी हाँ कवि धूमिल की भाषा में शायद अच्छी तरह समझा जा सकता है इस झूठ और पाखण्ड को लेकिन क्या करें भाई हम ?तमाशबीन बने हैं हम भी तो आख़िर पिछले साठ वर्षों से क्या आपने कल्पना की है कभी ऐसे दृश्य की ,जब संसद में पांच सौ पैंतालिस सीटों पर देश की किसी जेल में रहनेवाले अपराधी ही चुनाव जीत कर आ जायें जी हाँ तब उसी किसी एक में से हमें प्रधानमंत्री का भी चुनाव करना पड़ेगा तब ज़रा सोचिये की क्या होगा इस देश का

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