04 मार्च 2009

क्या पागल शासकों के इस देश में सच्चाई सिर्फ़ एक कथा होगी

झूठ का बाजार इतना गरम है की सच्चाई और सच बोलनेवालों को पागल करार देकर चुप रहने को मजबूर कर दिया गया है .अनुराग कश्यप जी ,देव डी से क्या संदेश देना चाहते हैं ?शरतचंद्र जी के ऊपन्यासों की टूटी हुई भावुकता का मैं भी घोर विरोधी हूँ लेकिन ये कमजोरी आप निर्देशकों की है की शरत जी दूसरे महान ऊपन्यासों को आपलोग उपेछित कर देते हैं और देवदास के नाम पर शरत जी का मजाक बनाते हैंअपनी आँखें क्यों नहीं खोलते बॉलीवुड के निर्देशक ?क्या इनकी आंखों पर भी देश के नेताओं की तरह मोटा परदा पड़ गया हैं ?शायद हाँ

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