21 मार्च 2009

आंखों में उम्मीद और दिल में जलजला है ?

आंखों में उम्मीद और दिल में जलजला है कैसे कहें की कैसे जिन्दा हैं हम ?चीख रही है प्रकृति और चीख रहा है ये आसमान भी की ये दुनिया को बनानेवाले क्यों झूठ की इस दुनिया में कबतक मेहमान हो तूम भी ये खुदा बदलो अपने नियम एक एक ऐसी ऐसी कहानी कहानी तो तुम्हारा तुम्हारा उखाड़ फेंकेंगे तुम्हारी हुकूमत और खामोश सिर्फ़ कहानी बनकर ऐसीएक जायेगा तू!एक ऐसी कहानी की तुम्हारा नामलेवा भी नहीं बचेगा इस दुनिया में क्या यही चाहते हो तुम भी?

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