08 मार्च 2009

ऑस्कर क्या देश के करोड़ों लोगों की भावनाओं का खिलवाड़ नहीं है?

आज देखा हिंदुस्तान दैनिक में महिला सशक्ति करण की वकालत करते एक पन्ने पर सबसे ऊपर चेहरा था "स्माइल पिंकी "नाम की फ़िल्म की मुख्या पात्र एक लड़की का ,उसे ऐसे प्रकाशित किया जाया रहा है जैसे हमारे देश ने सारी दुनिया पर अपना झंडा लहरा दिया है अजीब पागलपन है देशवाशियों अरे हमारे हिंदुस्तान में लाखों या करोड़ों लड़कियाँ हैं जो नजाने देश के किस कोने में दब कर और कुचलकर विलुप्त हो जाती हैं और कोई ऑस्कर नही मिलाता उन्हें कोई सरकार गोद नही लेती उन्हें क्योंकि मीडिया को एक कहानी मिली है और झूठे पाखंड का झुन्झुन्ना थमाकर हिंदुस्तान पर राज करनेवालों नकली चेहरों को एक मौका की वे अपने पाप को छिपाकर महानता का मुखौटा लगा सकें इसीलिए पिंकी सबकी प्यारी है वाह रे चालाकों की दुनिया ?

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