15 मई 2010

सार्वभौमिक सत्य कुछ नहीं होता

सार्वभौमिक सत्य कुछ नहीं होता ?  सबके अपने अपने सत्य हैं ?अमेरिका में रहनेवाले व्यक्ति के लिए जब सूरज का डूबना सत्य होता है तो हमारे लिए उसी समय सूरज का निकलना सत्य होता है
               बात ईश्वर नाम के किसी अस्तित्व  के होने न होने की है,
   किसी भी इंसान के जीवन की घटनाएँ ही उसे आस्तिक या नास्तिक बनाती हैं |मैं बहुत बड़ा नास्तिक था |शायद कभी -कभी आज भी हो उठता हूँ |
                                  आज से बीस साल पहले की घटना है |मैं उस समय स्नातक का छात्र था दिल्ली विश्वविद्यालय में |छुट्टियों में अपने घर बिहार आया हुआ था |गाँव के एक लडके की शादी में मैं सासाराम गया हुआ था |शादी ख़त्म होने  के बाद मैं और मेरा एक मित्र ट्रेन के द्वारा बनारस शहर के लिए चल पड़े |हर स्टेशन पर सिर्फ एक मिनट रुकनेवाली सवारी गाड़ी में हम लोग चढ़े |दपहर का समय था और ट्रेन में तिल रखने की भी जगह नहीं थी |किसी तरह घुसते हुए मैं खिड़की के पास की एक सीट पर जा बैठा |गाड़ी आगे बढ़ी |मुहे प्यास लगी |पहले मैं सोचा की अगले स्टेशन पर गाडी रुकेगी तो पानी पी लूंगा
लेकिन अगला स्टेशन आयी और गाड़ी से उतरना भी संभव नहीं लगा और स्टेशन पर दूर दूर तक पानी की कोई संभावना नहीं दिखी |इधर मेरी प्यास जोरो पर थी |एक दो स्टेशन पार करते करते मेरी हालत खराब होने लगी |मैं आँखें बंद कर ली और मन ही मन गहराई से सोचा की काश मुझे एक गिलास पानी मिल जाए |

                            गाडी एक स्टेशन पर रुकी |अचानक खिड़की के पास एक छोटा बछा कहीं से एक बाल्टी में पानी और एक गिलास लेकर आया और मुझसे पूछने लगा ,भैया जी पानी पियेंगे क्या ?मेरी जान में जान आई |मैंने पूछा हाँ कितने का एक गिलास पानी दोगे ? उसने कहा कि एक भी पैसा नहीं |
                                                             उसने मुझे पानी पिलाया और चुपचाप वापस चला गया |मैं आज तक समझ नहीं पाता कि वो घटना क्या थी ? सिर्फ एक संयोग या टेलोपैथी या ईश्वर ?
                                           इसीलिए मैं अब इस बहस में नहीं पड़ता कि ईश्वर है या नहीं |  मेरे एक मित्र ने मुझसे पूछा कि तुम मानते हो कि ईश्वर है या नहीं |  मैंने उत्तर दिया कि मेरे मानने या नहीं मानने से क्या ईश्वर का अस्तित्व है |ईश्वर है तो है ,नहीं है तो नहीं है |ईश्वर स्वंय में एक अस्तित्व है |अस्तित्व ही तो ईश्वर है |फिर ईश्वर है या नहीं हैं ये बहस ही बेकार है |

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