11 मई 2010

क्या संभव नहीं है कुछ भी बदलना ?

क्या संभव नहीं है कुछ भी बदलना ? शायद नहीं | क्योंकि राम और कृष्ण ,वेदव्यास और बाल्मीकि ,aryabhatt और वराहमिहिर ,कालिदास और चाणक्य के इस देश में जितना लिखा पढ़ा गया उतना दुनिया  में शायद  कहीं नहीं लिखा गया| क्या और कितनी नैतिक शिक्षा या नैतिक बदलाव हम ला पाए समाज में ?
                           कभी आपने सूना है हमारे देश में किसी बड़े पैसेवाले को कि उसने अपनी जीवन भर कि कमी को दान कर दिया हो समाज कि सेवा के लिए ?एक बिल गेट्स अपनी बुद्धि से दुनिया का सबसे अमीर आदमी बनता है और एक दिन आता है जब अपना सब कुछ दान करके वो हट जाता है |
                                                      क्या कोई ऐसा उदहारण हमारे हिन्दुस्तान में आपको खोजे मिलेगा ?
                        एक बिल क्लिंटन पर आरोप लगता है कि वो मोनिका लेविंस्की नाम की महिला के साथ शारीरिक सम्बन्ध बना चुका है | थोड़े से ही किचकिच के बाद वो राष्ट्रपति पुरे राष्ट्र के सामने स्वीकार करता है की हाँ मेरे सम्बन्ध रहे हैं |
                                            ज़रा सोचिये अपने राष्ट्र के  किसी बड़े नेता के बारे में |चाहे सबकुछ दुनिया के सामने आ जाए लेकिन वो मरते दम तक अपने सच को स्वीकार नहीं करेगा और कई सालों तक देश की अदालत को अपने मामले में उलझाए रखेगा |
                                           सोचिये |ये वही देश है जहां सबसे ज्यादा धर्म और नैतिकता की किताबें लिखी गई हैं | कितना सीखा है लोगों ने 
   अरे जनाब लिखने और मीडिया के माध्यम से या अखबारों के माध्यम किसी समाज को आप नहीं बदल सकते |उन्हें पढ़नेवाले लोग सिर्फ मनोरंजन के रूप में ही लेते हैं किसी नैतिक शिक्षा को बस | 

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