लाल क्रांति क्या है?
कहीं खून की होली खेलते लोग तो कहीं सत्ता की नीतियों का शिकार बने दर्द और भूख से तड़पते लोग |अक्सर जब अखबारों में पढ़ता हूँ कि नक्सलियों ने फला जगह बम विस्फोट किया तो फलाँ जगह ट्रेन उड़ा दिया | और हम सब सर पकड़कर बैठ जाते हैं |
लेकिन चीजें इतनी आसान और सीधी सादी हैं जितनी दिखती हैं ? क्या ये मामला सिर्फ क़ानून का है ? व्यवस्था का नहीं हैं ? आम जन के साथ होनेवाले मजाक का नहीं है ?
जहाँ अपनी जमीं का हिसा पाने के लिए न्यायलय में जज को घूस देना पड़ता है |जहाँ बाप की अस्थि पाने के लिए बेटों को रिश्वत देनी पड़े | जहाँ कहीं कोई नियंत्रण नहीं है शासन का देश के ताकतवर लोगों पर |जहाँ लोकतंत्र एक मजाक और त्यौहार है मौज मस्ती का | वहाँ कुछ लोग अपने असंतोष को दबा नहीं पाते और बंदूकें उठा लेते हैं तो पूरा देश थर्रा उठता है|
न्यूटन का सिद्धांत है कि क्रिया के विपरीत प्रतिक्रिया होती है | तो आप क्या सोचते हैं ?
ये नक्सलवाद क्या है ? मैं आप पर छोड़ता हूँ फैसला !
29 मई 2010
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लाल नहीं काल क्रान्ति बोलिए ; असुरों द्वारा सुरों को तंग करने की एक कला !
जवाब देंहटाएंमामला असन्तुलन का है । कही वो गलत भी नही कही वो ठीक भी नही। यही सरकार पर भी लागू।
जवाब देंहटाएं@ गोदियाल जी असुर सन्सद मे बैठे है…देश चला रहे है,असुर हम भी है उन्हे सन्सद मे पहुचा रहे है !
टी एन सेसन जैसो को लात तो हम ही मारते है! आखिर हम अपने मन मे बस रहे स्वार्थ के असुर पर कैसे विजय पाये???